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राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन

भूमिका

भारतीय कृषि मे मुख्य रूप सं देश कें विशुद्ध बुआई क्षेत्र कें लगभग 60 प्रतिशत वर्षा सिंचित क्षेत्न शामिल छै आ इ कुल खाद्यान्न उत्पादन मे लगभग 40 प्रतिशत कें योगदान देयत छै. अइ प्रकार वर्षा सिंचित कृषि जोतक कें विकास कें संगे-संगे प्राकृतिक संसाधनक कें संरक्षण देश मे खाद्यान्नक कें बढ़यत मांग कें पूरा करय कें कुंजी छै. अइ दिशा मे राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) तैयार कैल गेल छै जइ सं कि एकीकृत खेती, जल प्रयोग कोशल, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन आ संसाधन संरक्षण कें बढ़ावय पइर ध्यान केन्द्रित करएयत विशेष रूप सं वर्षा सिंचित क्षेत्नक मे कृषि उत्पादकता बढ़ाएल जा सकय.

मिशन कें उद्देश्य

एनएमएसए कें निम्नलिखित उद्देश्य हेतय

  • कृषि कें स्थान विशिष्ट एकीकृत/संयुक्त कृषि प्रणालियक कें बढ़ावा द क आ बेसि उत्पादक, सतत, लाभकारी आ जलवायु प्रत्यास्थ बनेनाय.
  • समुचित माइट आ नमी संरक्षण उपायक कें माध्यम सं प्राकृतिक संसाधनक कें संरक्षण करनाय.
  • माइट उर्वरता मानचित्रक, पइग एवं सब सं छोट पोषक तत्वक कें माइट परीक्षण आधारित अनुप्रयोक्ता समुचित उर्वरकक कें प्रयोग आदी कें आधार पइर व्यापक माइट स्वास्थ्य प्रबंधन पद्धतिक अपनेनाय
  • हरेक बूंद बेसि फसल हासिल करय कें लेल व्याप्ति बढ़ावय कें लेल कुशल जल प्रबंधन कें माध्यम सं जल संसाधनक कें इष्टतम उपयोग.
  • जलवायु परिवर्तन अनुकूलन आ अल्पीकरण कें क्षेत्र मे अन्य चालू मिशनक अर्थात राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्रौद्योगिकी मिशन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि जलवायु प्रत्यास्थता पहल (एनआईसीआरए) आदी कें सहयोग सं किसानक एवं पणधारियक कें क्षमता बढेनाय.
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम (मनरेगा), एकीकृत पनधारा कार्यक्र म (आईडब्ल्यूएमपी), आरकेवीवाई आदी जैना अन्य स्कीमक/मिशनक सं संसाधनक कें ल क आ एनआईसीआरए कें माध्यम सं वर्षा सिंचित प्रौद्योगिकियक कें मुख्य धारा मे ला क वर्षा सिंचित कृषि कें उत्पादकता सुधारय कें लेल चयनित ब्लाक मे प्रायोगिक मॉडल, आ एनएपीसीसी कें तत्वाधान मे राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन कें मुख्य प्रदेशक कें पूरा करय कें लेल प्रभावी अंतर आ आांतरिक विभागीय/मंत्नालय समन्वय स्थापित करनाय.

मिशन कें काजनीति

मिशन कें उद्देश्यक कें हासिल करय कें लेल, एनएमएसए निम्नलिखित कइक टा तरहक-कार्यक्र म कार्यनीति कें अनुसरण करतय.

  • अनुपूरक/अवशिष्ट उत्पादन प्रणालियक कें माध्यम सं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनाय, आजीविका अवसर बढ़ावा वाला फसल विफलता कें न्यूनतम करय कें लेल फसल, पशुधन एवं मत्स्य पालन, बागवानी आ चारागाह आधारित संयुक्त कृषि कें शामिल करयत एकीकृत कृषि प्रणाली कें बढ़ावा देनाय.
  • संसाधन संरक्षण प्रौदयोगिकियों (आन फार्म आ आफ फार्म दोनों) कें लोकिप्रय बनेनाय आ ऐहन पद्धतियक प्रारंभ करनाय जे चरम जलवायु घटनाक या आपदाअक जैना लंबा सूखा दौर, बाढ़ आदी कें समय पइर अल्पीकरण प्रयासक मे सहायता करेनाय.
  • उपलब्ध जल संसाधनाक कें प्रभावी प्रबंधन कें बढ़ावा देनाय आ मांग एवं आपूर्ति पक्ष प्रबंधन समाधानक सं जुड़ल प्रौद्योगिकियक कें अनुप्रयोग कें माध्यम सं जल प्रयोग कौशल बढ़ेनाय.
  • उच्चतर फार्म उत्पादकता, उन्नत मृदा उपचार, विर्धत जल धारण क्षमता, रसायनक /ऊर्जा कें समुचित प्रयोग आ विर्धत माइट कार्बन भंडारण कें लेल उन्नत कृषि पद्धतियक कें प्रोत्साहित करनाय.
  • स्थान आ मृदा विशिष्ट फसल प्रबंधन पद्धतियक कें अपनेनाय एवं इष्टतम उर्वरक प्रयोग कें सुकर बनावय कें लेल जीआईएस प्लेटफार्म पइर भूमि प्रयोग सर्वेक्षण, माइट रूपरेखा अध्ययन आ मिट्टी विश्लेषण कें माध्यम सं मृदा संसाधनक पर डाटाबेस सृजित करनाय.
  • माइट स्वास्थ्य सुधारय कें लेल , विर्धत फसल उत्पादकता आ भूमि एवं जल संसाधनक कें गुणवत्ता कायम राखय कें लेल स्थान आ फसल विशिष्ट एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन पद्धतियक कें बढावा देनाय.
  • विशिष्ट कृषि जलवायु स्थितियक कें लेल जलवायु परिवर्तन अनुकूलन आ अल्पीकरण कार्यनीतियक मे जानकार संस्थानक आ व्यवसायिकक कें सम्मिलित करनाय. मनरेगा, आईडब्ल्यूएमपी, आरकेवीवाई, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच), राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्रौदयोगिकी मिशन (एनएमएई एंड टी) आदी जेना अन्य स्कीमक/मिशनक सं समन्वय, परिवर्तन आ निवेश उठा करइ क अलाभ कें क्षेत्रक में एवं स्थिति विशिष्ट नियोजन सं आ बेसि पहुंच कें साथ वर्षा सिंचित प्रौदयोगिकियक कें प्रचार-प्रसार आ अंगीकरण कें माध्यम सं एकीकृत विकास सुनिश्चित करय कें लेल प्रायोगिक कें रूप मे चुनिंदा ब्लाकक मे जलवायु पैरामीटरक कें प्रेरक क्षमता केंअनुसार कार्यक्र म मूलक अंत:क्षेप. किसान समुदाय कें लाभ कें लेल एकल सुविधा पटल/प्रदाता उपलब्धकर्ता प्रणाली उपलब्ध करावय कें लेल राज्य सरकार द्ववारा राज्य कृषि विश्वविद्यालयक(एसएयू), कृषि विज्ञान केन्द्रक(केवीके), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) केन्द्रक, व्यवसायिक संगठनक आदी जैना जानकार भागीदारक सहित विभिन्न पणधारियक कें संग एकटा संघीय दृष्टिकोण विकिसत कैल जा सकय छै.
  • राज्य सरकार चयन कें पारदर्शी प्रणाली आ पर्यवेक्षण कें परिभाषित प्रक्रि या कें माध्यम सं ओ क्षेत्रक मे जहां सीमति सरकारी अवसंरचना उपलब्ध छै, एकटा लाईन विभाग कें माध्यम सं मानिटरिंग कें मामले मे समूह/ग्राम विकासयोजना कें कार्यान्वयन कें लेल ख्याति प्राप्त एजेंसियक कें लगा सकय छी
  • विभिन्न घटकक कें तकनीकी व्यवहार्यता आ जलवायु प्रत्यास्था लावय कें बारे मे ओकर प्रभावशीलता पइर नियमति अदयतन सूचनाअक कें लेल राष्ट्रीय सलाहकार परिषद कें लेल अनूकूलन मुद्दाक आ जलवायु परिवर्तन अल्पीकरण पइर मजबूत तकनीकी मानिटरिंग एवं प्रतिपुष्टि प्रणालियक केन्द्रीय संस्थानक आ राज्य कृषि विश्वविद्यालयक कें विशेषज्ञ ऐहन तकनीकी मानिटरिंग/प्रति पुष्टि कें भाग हेतय.कार्यान्वयन एजेंसियक कें क्षमता निर्माण कें मैनेज दूवारा संभालल जेतय.
  • राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना कें तत्वाधान मे एनएमएसए कें मिशन दस्तावेज मे रेखांकित अंत:क्षेपक कें कार्यान्वयन संपर्क, समीक्षा आ समन्वयन कें लेल लेटफार्म स्थापित करनाय.

अंतिम बेर संशोधित : 6/15/2020



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