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लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम , 1964

कानूनी अपराध

गर्भाधारण स पहिले आ प्रसव स पहिले निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम ,1964 कें अंतर्गत गर्भाधारण पहिले या बाद लिंग चयन आ जनम स पहिले कन्या भ्रुण हत्या कें लेल लिंग परीक्षण करनाई , एकरा लेल सहयोग दानाई व विज्ञापन करनाई कानुनी अपराध छै. जइ मे स 3 स 5 वर्ष कें जेल व 10 हजार स 1 लाख रुपया तक जुर्माना भ सकई या.

दुनू समान

चिकित्सा विज्ञान कें विशेषज्ञक कें मुताबिक समाज मे औसतन जेतेक लड़का पैदा होई छै . ओतबे लड़कीक से हो जन्म लई छै. भगवान से हो स्त्री व पुरुष को किछु जैव वैज्ञानिक अन्तर कें छोड़िक क जीवन कें समान शक्तियाक व समान अवसर प्रदान केने छथीन. जन्म क समय औसतन लड़का आ लड़की समान शक्तिक के साथ पैदा होई छै. किन्तु सामुदायिक व सामाजिक व्यवहार स धीरे-धीरे पुरुषक शक्तिक स्त्रियक कें तुलना मे प्रभावी होई छै.

वर्तमान स्थिति

भारत मे स्त्रियक स्थिति प्रत्यक्ष आ प्रत्यक्ष आ परोक्ष रूप स बालिकाक कें स्वास्थ्य कें स्थिति कें प्रभावित करई छै. अई प्रकार लिंग भेद कें परिणामस्वरूप समाज मे लड़काक जन्म कें प्रमुखता बालिका शिशु कें भ्रुण अवस्था मे ही हत्या , बाल्यावस्था या किशोरावस्था मे ही बालिकाक ब्याह , पोषण, स्वास्थ्य शिक्षा जैना मूलभूत जरूरतक मे भेदभाव देखल जाइ छै. अपन तेजी रूपक मे लड़का चाह मे कन्या कें हत्या आ कन्या गर्भपात मे परिणित होइ छै. देश कें विभिन्न भागक मे कैल गेल कार्य कें अध्ययनक मे कन्या शिशु हत्या कें मामला पाइल गेल छै. कन्या भ्रुण हत्याक कें कई तरह कें धर्म कें गुरुक ने धार्मिक दृष्टि स अनुचित बतेने छथिन.

पारित अधिनियम

भारत सरकार जे छइ से स्पष्ट रूप स जन्म स पहिले लिंग निर्धारण कें प्रति अपन विरोध व्यक्त कैने छथिन. दिनांक 1.1.96 क प्रसव स पहिले निदान तकनीक (विनियमन आ दुरुपयोग निवारण ) अधिनियम 1994 लागू कर ऐहन जांचक कें कानुनी अपराध ठहरेने छै. भारत सरकार ने उक्त अधिनियम मे आवश्यक संशोधन कर दिनांक 14.2 2003 से अधिनियम का नाम गर्भधारण स पहिले आ प्रसव स पहिले निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध ) अधिनियम 1994 रखने छै.

प्रसव स पहिले तकनीकक का विनियमन

इ अदिनियम कें अंतर्गत पंजीकृत आनुवांिक सलाह केंन्रक ,आनुवंशिक प्रयोगशालाक , आनुवांिक क्लिनिक , अल्ट्रासाउण्ड क्लिनिक आ इमेंजिंग सेंटरक जत कि गर्भधारण स पहिले व प्रसव स पहिले निदान तकनीक स संचालन कें व्यवस्था छै ओतह जन्म स पहिले निदान तकनीकक कें उपयोग केवल निम्नलिखित विकारक कें पहचान कें लेल कैल जा सकईया.

  • गणसूत्न सम्बन्धी विकृति।
  • आनुवंशिक उपापचय रोग।
  • रक्‍त विर्णका संबंधी रोग।
  • लिंग संबंधी आनुवंशिक रोग।
  • जन्मजात विकृतियां।
  • केंद्रीय पर्यवेक्षक बोर्ड दूवारा संसूचित अन्य असमानताएं व रोग.

इ अधिनियम कें अंतर्गत इहो व्यवस्था छै कि प्रसव स पहिले निदान तकनीक कें उपयोग या संचालन कें लेल चिकित्सक कई तरह स शर्तो कें भली प्रकार जांच करई लेव कें गर्भवती महिला केंभ्रूण जांच कें जांच कें जननाई योग्य छै या नहि

  • गर्भवती सूत्री कें उम्र 55 वर्ष स बेसि छै.
  • गर्भसूत्री कें दू या होई स बेसि स्वत: गर्भपात या गर्भस्त्रवभ चुकल छै.
  • गर्भवती सूत्री नशीली दवा संक्रमण या रसायनक जैना सशक्त विकलांगता कें संसर्ग मे रहि छै.
  • गर्भवती सूत्री या ओकर पति का मानसिक मंदता या संसतंभा जैना कोनों शारीरिक विकार या अलावा कोनों आनुवंशिक रोग का पारिवारिक इतिहास छै.
  • केंद्रीय पर्यवेक्षक बोर्ड दूवारा संसूचित कोनों अन्य अवस्था छै.

अंतिम बेर संशोधित : 6/15/2020



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